भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS) की धारा 27
(संरक्षक द्वारा या उसकी सम्मति से बालक या विकृतचित्त वाले व्यक्ति के फायदे के लिए सदभावपूर्वक पूर्वक किया गया कार्य)
कोई बात जो 12 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति या विकृतचित्त वाले व्यक्ति के फायदे के लिए सदभावपूर्वक उसके संरक्षक की, या विधिपूर्ण भारसाधक किसी अन्य व्यक्ति द्वारा या अन्य अभिव्यक्त या विवक्षित सम्मति से की जाय किसी ऐसी अपहानि के कारण अपराध नही है जो उस बात से उस व्यक्ति को कारित हो या कारित करने का कर्ता का आशय हो या कारित होने की सांभाव्यता कर्ता को ज्ञात हो-
परन्तु इस अपवाद का विस्तार -
(क)- साशय मृत्यु कारित करने या मृत्यु कारित करने का प्रयत्न करने पर न होगा
(ख)- मृत्यु या घोर उपहति के निवारण के या किसी घोर रोग या अंग शैथिल्य से मुक्त करने के प्रयोजन से भिन्न किसी प्रयोजन के लिए किसी ऐसी बात के करने पर न होगा जिसे करने वाला व्यक्ति जनता हो कि उससे मृत्यु कारित होना सम्भाव्य है
(ग)- स्वेच्छाया घोर उपहति कारित करने या घोर उपहति कारित करने का प्रयत्न करने पर न होगा जब तक कि वह मृत्यु या घोर उपहति के निवारण के या किसी घोर रोग या अंग शैथिल्य से मुक्त करने के प्रयोजन से न कि गई हो
(घ)- किसी ऐसे अपराध के दुष्प्रेरण पर न होगा जिस अपराध के किये जाने पर इसका विस्तार नही है
उदाहरण - राजेश सदभावपूर्वक, अपने बालक के फायदे के लिए अपने बालक की सम्मति के बिना, यह सम्भाव्य जानते हुए की शस्त्रकर्म से उस बालक की मृत्यु कारित होगी न कि इस आशय से की उस बालक की मृत्यु कारित कर दे शल्यचिकित्सक द्वारा पथरी निकलवाने के लिए अपने बालक की शल्यक्रिया करवाता है राजेश का उद्देश्य बालक को रोगमुक्त करना था इसलिए वह इस अपवाद के अंतर्गत आता है।
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(IPC) की धारा 89 को (BNS) की धारा 27 में बदल दिया गया है। |